जानकारी: अपोलो फ़िकस एक लोकप्रिय सजावटी पौधा है जो अपने हरे-भरे पत्तों और विभिन्न इनडोर और आउटडोर वातावरणों के अनुकूल होने के लिए जाना जाता है। अंजीर परिवार से संबंधित, यह पौधा अपने वातावरण और देखभाल के आधार पर पेड़ या झाड़ी दोनों के रूप में उग सकता है।
वृक्षारोपण:
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मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है। गमले की मिट्टी, परलाइट और पाइन छाल का मिश्रण आदर्श है।
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स्थान: इनडोर प्लांटेशन के लिए अप्रत्यक्ष सूर्यप्रकाश वाली जगह चुनें। आउटडोर प्लांटेशन के लिए, यह अर्ध-छायादार क्षेत्रों को पसंद करता है।
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गहराई: पौधे की जड़ की गेंद मिट्टी की सतह से थोड़ी नीचे होनी चाहिए। ध्यान रखें कि यह बहुत गहरी या बहुत उथली न हो।
बढ़ रहा है:
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पानी देना: मिट्टी को नम रखें, लेकिन गीली न करें। अधिक पानी देने से जड़ सड़ सकती है।
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उर्वरक: बढ़ते मौसम के दौरान महीने में एक बार संतुलित तरल उर्वरक खिलाएं।
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छंटाई: पौधे को आकार देने और घने पत्ते को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से छंटाई करें। मृत या पीली पत्तियों को हटा दें।
देखभाल:
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तापमान: अपोलो फ़िकस को 60°F (15°C) और 75°F (24°C) के बीच का तापमान पसंद है। ड्राफ्ट और अचानक तापमान परिवर्तन से बचाएं।
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कीट: मीलीबग, एफिड्स और स्पाइडर माइट्स जैसे आम कीटों से सावधान रहें। निवारक उपाय के रूप में कीटनाशक साबुन या नीम के तेल का उपयोग करें।
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पुनःरोपण: हर 2-3 साल में या जब पौधा जड़ों से बंधा हो जाए, तब पुनःरोपण करें।
फ़ायदे:
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वायु शोधन: माना जाता है कि कई घरेलू पौधों की तरह, अपोलो फिकस भी वायु को शुद्ध करने में मदद करता है, तथा फॉर्मेल्डिहाइड जैसे विषाक्त पदार्थों को हटाता है।
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सौंदर्यशास्त्र: इसकी हरी-भरी हरियाली स्थान में सौंदर्य और शांति लाती है, तथा आंतरिक सजावट को बढ़ाती है।
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मानसिक स्वास्थ्य: अपोलो फ़िकस सहित पौधों के आस-पास रहने से तनाव कम होता है, मूड बेहतर होता है और उत्पादकता बढ़ती है।